Page copy protected against web site content infringement by Copyscape

Thanks for visiting my blog. Your all "Sweet n Sour" comments are most welcome. Catch me at sifaracircle@gmail.com

Saturday, August 8, 2009

पहली मुलाकात

अपने हाथों में वक्त की कुछ कालिख ले कर,
कोई सोया था।
सन्नाटे में उसके सपनो की गूँज बड़ी थी।
देखा तो कोने में, आज भी वो तनहा खड़ी थी।

कुलबुलाहट, मन की कुछ बेरुखे शब्दों का आँचल लिए थी।
मैं ने टोका, तो रंग बदल के समझदारी का परिचय दिया उसने।
मैं ने नासमझ बन कर कबूल किया तो,
एक "लकीर" खीच दी उसने हमारे दरमयां।

हम वक्त को किस कदर अपना लेते हैं,
बस "हम" ही नहीं रहते।
बाकि सब रह के गुजरता चला जाता है,
कुछ... ख़ुद की खिची लकीरों के इर्द-गिर्द।

और नाम .....हमारा अपना ही है .....ख़ुद का दिया हुआ....." ज़िन्दगी "।
Related Posts with Thumbnails