उसकी तन्हाइयों में,
कुछ दिनों से मेरी आवाज़ है।
वो तो चुप थी,
पर उसके हर बेचैनी का
मुझे एहसास है।
तलाशती है नज़र,
जिन वीरानों में।
मैं तो सिर्फ़ एक गवाह हूँ।
चीख, सह न सका, शायद,
तभी आज़ हमराह हूँ।
कुछ दिनों से मेरी आवाज़ है।
वो तो चुप थी,
पर उसके हर बेचैनी का
मुझे एहसास है।
तलाशती है नज़र,
जिन वीरानों में।
मैं तो सिर्फ़ एक गवाह हूँ।
चीख, सह न सका, शायद,
तभी आज़ हमराह हूँ।
शिकवे क्यों हैं, उसके दामन में इतने,
की, उसका साया भी मुझे चुभता है कभी।
पहचान हमारी, हम से ही तो है ये,
क्यों जुदा - जुदा से खयालात हैं फ़िर भी।
दर्द के जो बीज पनप रहे हैं उसके दर् पे,
रिश्ता उनसे कुछ पुराना सा है।
पर अंजाम से हूँ वाकिफ,
तभी तो दिल में डर का एक साया सा है।
सवाल कई उठते हैं मन में,
जिनका दायरा भी कुछ बड़ा है।
पर नींव भरोसे की है, शायद,
तभी ये बेनाम रिश्ता,
अब भी खड़ा है।
सवाल कई उठते हैं मन में,
ReplyDeleteजिनका दायरा भी कुछ बड़ा है।
पर नींव भरोसे की है, शायद,
तभी ये बेनाम रिश्ता,
अब भी खड़ा है।..har rishta bhrose ki neev pe hi khadha hota hai....
Apne ird gird zara dekh kar bataiye, kya "har rishta" bharose ki neev pe hi khada hai?
ReplyDeleteAgar haan, to aankhein band karke, dil se, Ishwar ka shukriyada zaroor kariyega.
Keep smiling & thanks for your comment.
kuchh rishte mahatvpooran hote hue bhi benaam hi rahte hai...
ReplyDeleteतलाशती है नज़र,
ReplyDeleteजिन वीरानों में।
मैं तो सिर्फ़ एक गवाह हूँ।
चीख, सह न सका, शायद,
तभी आज़ हमराह हूँ।
bahut sundar rachna ,bahut mahino se idhar dekha nahi isliye dhoondhte huye aa gayi
hum hai to jamana hai.
ReplyDeletesurat har pahachani hai.
bas.........awaz dene ki khawais
ab na hoti.
aap lajabab hai.
mera blog bhi nazar pharmaye.
blog-
Gandhi chemical.blogsot.com
yr-
manoj kumar tiwari,patna[india]
my blog-
Thanks to all of you.
ReplyDeleteMrs Jyoti, since a long time i am not writing either, quite busy nowadays. But soon, will catch you on your blog.