ज़िन्दगी गाँठों की उलझन बन कर रह गई है
हर एक गाँठ मजबूती का एहसास, तो कहीं...
टूटे होने की कमज़ोर शक्ल दिखती है।
कभी ... कुछ एक गाँठ खोलने की चाहत तो होती है, पर...
डरता हूं कि, गाँठें खोलने से रिश्तों के सिरे कहीं खो न जायें,
और कभी......................................
.....................ये मुमकिन ही नहीं होता।
हर एक गाँठ मजबूती का एहसास, तो कहीं...
टूटे होने की कमज़ोर शक्ल दिखती है।
कभी ... कुछ एक गाँठ खोलने की चाहत तो होती है, पर...
डरता हूं कि, गाँठें खोलने से रिश्तों के सिरे कहीं खो न जायें,
और कभी......................................
.....................ये मुमकिन ही नहीं होता।
aap bahut achchaa likhte hai .bhav bhi gahre hai .
ReplyDeleteThanks Mrs Jyoti, for your compliments.
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